बिहार में गजब कारनामा: हाईवे की जमीन ही बेच दी गई,
बिहार में गजब कारनामा: हाईवे की जमीन ही बेच दी गई, मुजफ्फरपुर-बरौनी फोरलेन प्रोजेक्ट संकट में
मुजफ्फरपुर:
बिहार में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां नेशनल हाईवे (NHAI) की अधिग्रहित जमीन को न केवल अवैध रूप से बेच दिया गया, बल्कि उसका दाखिल-खारिज (mutation) भी कर दिया गया है। यह मामला मुजफ्फरपुर जिले के मुशहरी अंचल अंतर्गत अतरदह मौजा से जुड़ा है, जो मुजफ्फरपुर-बरौनी फोरलेन प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
एनएचएआइ द्वारा अधिग्रहित जमीन पर बड़ी संख्या में लोगों ने निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। रामदयालु से लेकर कच्ची-पक्की तक के इलाके में अवैध निर्माण की बाढ़ सी आ गई है। कुछ लोगों ने तो बाकायदा मकान बनाकर कब्जा भी कर लिया है। इससे न केवल निर्माण कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है, बल्कि पूरा फोरलेन प्रोजेक्ट खतरे में पड़ गया है।
अधिकारियों की बढ़ी चिंता
इस स्थिति को देखते हुए एनएचएआइ के परियोजना निदेशक आशुतोष सिन्हा ने मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी (DM) को एक बार फिर पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा है कि अगर समय रहते अतिक्रमण और अवैध बिक्री पर रोक नहीं लगी, तो फोरलेन का काम रुक सकता है, जिससे राज्य और केंद्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना पर असर पड़ेगा।
जमीन की खरीद-बिक्री और दाखिल-खारिज का खेल
सूत्रों के अनुसार, जिन जमीनों को एनएचएआइ ने अधिग्रहित कर मुआवजा भी दे दिया था, उन्हीं जमीनों को कुछ भू-माफिया ने दोबारा बेच दिया। यहां तक कि नए खरीदारों ने संबंधित अंचल कार्यालय से दाखिल-खारिज भी करवा लिया, जो नियमों के पूरी तरह खिलाफ है। प्रशासन की लापरवाही और मिलीभगत की भी आशंका जताई जा रही है।
अब आगे क्या?
NHAI ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे सभी मामलों की जांच कराई जाए और जिन लोगों ने हाईवे की जमीन पर अवैध कब्जा या खरीद-बिक्री की है, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही, जमीन को खाली करवाकर निर्माण कार्य में आ रही बाधाओं को दूर किया जाए।
निष्कर्ष
यह मामला न सिर्फ सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग का है, बल्कि एक बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को अवैध मुनाफे के लिए खतरे में डालने का गंभीर उदाहरण भी है। यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो इसका असर पूरे बिहार के विकास कार्यों पर पड़ सकता है।


