मध्य प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ IAS अधिकारी Santosh Verma को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया

भोपाल, 27 नवंबर 2025 — मध्य प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा को बुधवार देर रात तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कदम उस विवादित बयान के बाद उठाया गया है, जो उन्होंने आरक्षण (reservation) और जातीय संवेदनशीलता से जुड़ी एक सार्वजनिक सभा (public event) में दिया था।

 

 

 

विवाद की शुरुआत — क्या कहा था संतोष वर्मा ने

 

22 नवंबर 2025 को भोपाल में आयोजित एक साहित्यिक कार्यक्रम/सभा के दौरान — अपने संबोधन में — संतोष वर्मा ने कहा कि आरक्षण (caste-based reservation) ने अपना “मूल उद्देश्य” पूरा कर लिया है, और अब इसे “एक स्थायी राजनीतिक हथियार” बनाए जाने की आलोचना की।

 

उन्होंने आगे कथित रूप में यह भी कहा कि आरक्षण का लाभ “एक परिवार के सिर्फ एक सदस्य तक सीमित” होना चाहिए — और उन्होंने एक विवादित शर्त जोड़ी कि यह तभी हो, “जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को दान न दे दे” या “उनके बीच कोई रिश्ता न बन जाए।”

 

इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ — जिसके बाद SC, ST, OBC संगठनों के साथ-साथ ब्राह्मण समाज के कई संगठनों ने भी न सिर्फ आपत्ति जताई, बल्कि इसे “जातिवाद-उन्मुख, असंवैधानिक और संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन” बताया।

 

 

 

 

प्रतिक्रिया, विरोध और सामाजिक माहौल

 

विवाद बढ़ते ही विभिन्न इलाकों में सार्वजनिक विरोध-प्रदर्शन हुए — लोगों ने उनके पुतले जलाए, नारे लगाए, और उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की।

 

ब्राह्मण समाज सहित कई सामाजिक-संगठनों ने कहा कि एक सिविल सर्वेंट द्वारा इस तरह की टिप्पणी सामाजिक सद्भाव और संवैधानिक गरिमा के लिए खतरनाक है।

 

इसके अलावा, वर्मा के पुराने रिकॉर्ड पर भी सवाल फिर से उठे: 2021 में प्रमोशन के दौरान उन पर फर्जी दस्तावेज लगाने का आरोप था, जिस वजह से पहले भी विवाद हुआ था।

 

 

 

 

सरकार की कार्रवाई — Show-Cause Notice और निलंबन

 

राज्य सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने वर्मा को एक कड़ी Show-Cause Notice जारी की, जिसमें कहा गया कि उनका बयान “सामाजिक सौहार्द को प्रभावित करने वाला” है और यह “अखिल भारतीय सेवा (Conduct) Rules, 1968” तथा “All India Services (Discipline & Appeal) Rules, 1969” का उल्लंघन माना जाता है।

 

नोटिस में कहा गया कि वर्मा को 7 दिनों के भीतर लिखित स्पष्टीकरण देना होगा; नहीं देने पर बिना आगे सूचना दिए विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

 

उसके तुरंत बाद — विरोध-प्रदर्शनों, सामाजिक uproar और संवैधानिक व सामाजिक भावना को ध्यान में रखते हुए — वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।

 

 

 

 

क्या है अगली प्रक्रिया?

 

अब संतोष वर्मा को नोटिस के जवाब में सस्पष्टीकरण देना होगा। अगर वह 7 दिनों में उत्तर नहीं देते या जवाब असंतोषजनक पाया गया, तो विभागीय कार्रवाई — बर्खास्तगी या अन्य दंडात्मक कदम — हो सकते हैं।

 

सामाजिक-राजनीतिक दबाव, मीडिया कवरेज और संवैधानिक संस्थाओं की निगरानी के बीच यह मामला आगे बड़े स्तर पर देखने को मिल सकता है — खासकर जब पुरानी आपराधिक या अनुशासनात्मक शिकायतें भी सार्वजनिक हो चुकी हैं।

 

 

 

 

निष्कर्ष

 

यह कदम — वर्मा का तत्काल निलंबन — राज्य सरकार द्वारा संवैधानिक गरिमा, जातीय संवेदनशीलता और सामाजिक सौहार्द की रक्षा के लिए उठाया गया एक स्पष्ट संदेश है। सामाज में जातीय या धार्मिक आधार पर भेदभाव-पूर्ण बयानबाज़ी को अब प्रशासनिक व संवैधानिक गंभीरता से लिया जा रहा है।

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